hanuman chalisa Fundamentals Explained
hanuman chalisa Fundamentals Explained
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Bhima tries to carry Hanuman's tail. Generations once the events on the Ramayana, and during the functions on the Mahabharata, Hanuman is currently a nearly forgotten demigod dwelling his daily life within a forest. Following a while, his spiritual brother in the god Vayu, Bhima, passes via in search of flowers for his spouse. Hanuman senses this and decides to teach him a lesson, as Bhima had been known to generally be boastful of his superhuman energy (at this point in time supernatural powers have been Significantly rarer than during the Ramayana but nevertheless viewed during the Hindu epics).
kumatiKumatiIgnorance / poor intellect nivāra NivāraPurify / cleanse sumatiSumatiWise / fantastic intelligence keKeOf sangīSangīCompanion / Good friend That means: Oh terrific hero with valiant body as sturdy as Indra’s Vajra (Thunderbolt/weapon), the remover of undesirable intellect or ignorance or evil views, oh the companion of the good.
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं हरहु कलेस बिकार ॥ ॥चौपाई॥ जय हनुमान ज्ञान गुन सागर ।
व्याख्या – श्री हनुमान जी को hanuman chalisa उनकी स्तुति में श्री लक्ष्मण–प्राणदाता भी कहा गया है। श्री सुषेण वैद्य के परामर्श के अनुसार आप द्रोणाचल पर्वत पर गये, अनेक व्यवधानों एवं कष्टों के बाद भी समय के भीतर ही संजीवनी बूटी लाकर श्री लक्ष्मण जी के प्राणों की रक्षा की। विशेष स्नेह और प्रसन्नता के कारण ही किसी को हृदय से लगाया जाता है। अंश की पूर्ण परिणति अंशी से मिलने पर ही होती है, जिसे श्री हनुमन्तलाल जी ने चरितार्थ किया।
TumhareTumhareYour bhajanaBhajanaDevotion / chanting rāma RāmaLord Rama koKoTo pāvaiPāvaiTakes to / provides / attained
होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥३९॥ तुलसीदास सदा हरि चेरा ।
Fully mindful of the deficiency of my intelligence, I focus my focus on Pavan Kumar and humbly request toughness, intelligence, and correct knowledge to relieve me of all blemishes creating discomfort.
अश्वत्थामा बलिर्व्यासो हनुमांश्च विभीषण:।
आजा कलयुग में लेके अवतार ओ गोविन्द: भजन
व्याख्या— रुद्रावतार होने के कारण समस्त प्रकार की सिद्धियाँ एवं निधियाँ श्री हनुमान जी को जन्म से ही प्राप्त थीं। उन सिद्धियों एवं निधियों को दूसरों को प्रदान करने की शक्ति माँ जानकी के आशीर्वाद से प्राप्त हुई।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि ॥
.. और यही कारण है निराला जी तुलसीदास को कालिदास, व्यास, वाल्मीकि, होमर, गेटे और शेक्सपियर के समकक्ष रखकर उनके महत्त्व का आकलन करते हैं।
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भावार्थ– आपने अत्यन्त लघु रूप धारण कर के माता सीता जी को दिखाया और अत्यन्त विकराल रूप धारण कर लंका नगरी को जलाया।